पवन धीमान, हमीरपुर:
विधानसभा क्षेत्र नादौन की पंचायत हथोल में एक परिवार सरकारी लापरवाही और व्यवस्था की संवेदनहीनता का दंश झेल रहा है, जहाँ एक माँ का दर्द छलकता है, बेटा अधजले शरीर के साथ बिस्तर पर पड़ा है और मकान बांस की सपोट (खंभों) के सहारे टिका है।
कश्मीरी देवी और उनके परिवार की कहानी इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली है। उनका आवास इतना जर्जर है कि एक तरफ की दीवार पूरी तरह ढह चुकी है और बचा हुआ ढाँचा बांस के खंभों के सहारे खड़ा है। बारिश और तेज हवाओं में यह ढाँचा कभी भी गिर सकता है, लेकिन परिवार के पाँच-छह सदस्यों के पास इसके अलावा कोई दूसरा ठिकाना नहीं है।
इसी टूटते घर में एक कोने में कश्मीरी देवी का बेटा पड़ा है, जिसका शरीर एक हादसे में अधजला है। उसे न केवल अपने जख्मों से, बल्कि एक सुरक्षित छत न मिलने के डर से भी जूझना पड़ रहा है।
कश्मीरी देवी ने बताया कि वह लंबे समय से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, “हर कोई फाइल चलने का झूठा दावा करता है। नादौन स्थित वेलफेयर दफ्तर में मेरी आवास योजना की फाइल धूल खा रही है, लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आता।”
*मुख्यमंत्री के घर से महज 10 किमी दूर है दर्द*
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि कश्मीरी देवी का घर प्रदेश के मुख्यमंत्री के निजी आवास से महज 10 किलोमीटर दूर है, लेकिन स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मानवीय संकट को मुख्यमंत्री तक पहुँचाने की जहमत नहीं उठाई।
अपने हालात से तंग आकर कश्मीरी देवी ने अब सीधे मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, “सिर्फ मुख्यमंत्री जी ही हमारी सुन सकते हैं। मेरे बेटे के इलाज और एक सुरक्षित छत की उम्मीद अब बस उनी से है।”
इस मामले में स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस टिप्पणी नहीं आई है। यह मामला सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत और प्रशासनिक संवेदनहीनता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
