टीजीटी मेडिकल और नॉन-मेडिकल कमीशन के पाठ्यक्रम में अंतिम समय पर किए गए बदलाव से प्रदेश के हजारों अभ्यर्थी गहरी असमंजस और परेशानी का सामना कर रहे हैं। भाजपा मंडल बड़सर के मीडिया प्रभारी सोमदत्त ने कहा कि छह वर्षों बाद हिमाचल प्रदेश में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई है, जिसका बी.एड. व टीईटी उत्तीर्ण युवा लंबे समय से इंतजार कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार के समय आयोगों की अधिसूचनाएं पहले ही जारी कर दी गई थीं, लेकिन 2022 में सरकार बदलने के बाद पेपर लीक विवाद का हवाला देकर चयन आयोग को बंद कर दिया गया। इसके पश्चात 2025 में नया कमीशन निकला, जिससे युवाओं में उम्मीद जगी थी, लेकिन अब अंतिम समय में पाठ्यक्रम बदल दिया गया, जिसने अभ्यर्थियों की वर्षों की मेहनत को संकट में डाल दिया है।
सोमदत्त ने कहा कि युवा लंबे समय से अपने-अपने विषयों के पुराने पाठ्यक्रम के आधार पर तैयारी कर रहे थे। अब परीक्षा से पहले सिलेबस बदलना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि परीक्षा एक महीने में होती है, तो नई किताबें और सामग्री जुटाने में ही अभ्यर्थियों के 10–15 दिन व्यर्थ हो जाएंगे, जिससे उनकी तैयारी प्रभावित होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि आयोग को सिलेबस बदलना ही था, तो यह बदलाव विज्ञापन जारी करते समय ही कर देना चाहिए था, ताकि अभ्यर्थियों को असुविधा न हो।
सरकार युवाओं को दिशा देने की बजाय दिशाहीन करना चाहती है — सोमदत्त
सोमदत्त ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि युवाओं को रोजगार व दिशा देने के बजाय सरकार उन्हें दिशाहीन करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति और भर्ती प्रक्रियाओं को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकारों के समय प्रदेश में युवाओं के लिए समय-समय पर नई भर्तियाँ और प्रतियोगी परीक्षाएँ आती थीं, जिससे उन्हें रोजगार के अवसर मिलते थे।
लेकिन वर्तमान सरकार के कार्यकाल में लंबे समय से कोई ठोस भर्ती आयोग या सरकारी टेस्ट नहीं निकला, जिससे हज़ारों युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
पुराना पाठ्यक्रम लागू रखने की मांग
सोमदत्त और भाजपा मंडल बड़सर ,ढटवाल ने राज्य चयन आयोग व राज्य सरकार से मांग की है कि
टीजीटी मेडिकल तथा नॉन-मेडिकल दोनों के लिए पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम ही लागू रखा जाए, ताकि प्रदेश के युवाओं को अनावश्यक तनाव और कठिनाई का सामना न करना पड़े।
