सरकाघाट में एनएच निर्माण को लेकर हड़ताल जारी, प्रशासन पर गैर-जिम्मेदाराना रवैये का आरोप

पवन धीमान

राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) निर्माण से जुड़ी लापरवाही और अनियमितताओं के खिलाफ सरकाघाट में सामाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद भारद्वाज की सांकेतिक धरना-प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के रवैये को लेकर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि हड़ताल पर बैठे कार्यकर्ता से कोई भी अधिकारी मामले की सुनवाई के लिए नहीं पहुंचा।

रमेश भारद्वाज, जिनके पास टेंडर और कॉन्ट्रैक्ट समझौते तैयार करने का दावा किया गया है, ने बताया कि उन्होंने एनएच निर्माण से जुड़े करारनामे (कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट) में शामिल होनी चाहिए थीं, ऐसी 60 मांगों को प्रदर्शित किया है। उनका आरोप है कि करारनामा अधूरा और त्रुटिपूर्ण है, जिससे आम जनता को खतरा पैदा हो गया है।

भारद्वाज ने एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा करते हुए कहा, “करारनामे में यह स्पष्ट लिखा होना चाहिए था कि जेसीबी से कटान के बाद प्रभावित घरों के पास 10 दिनों के भीतर पक्की सुरक्षा दीवार (रिटेनिंग वॉल) बनाना अनिवार्य है। यह लापरवाही लोगों के जीवन को खतरे में डाल रही है। अगर यह शर्त होती, तो कंपनी इस काम को प्राथमिकता पर करती।”

उन्होंने बताया कि उन्होंने धर्मपुर विधायक को एक संदेश भेजकर अनुरोध किया था कि वे महज 10 मिनट के लिए आकर इन मांगों को देखें, क्योंकि विधायक उनके इलाके के नजदीक सरौन में ही थे। लेकिन शाम 3 बजे तक भी कोई नहीं पहुंचा। इससे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता स्पष्ट नजर आती है।

*स्थानीय संगठनों ने जताया समर्थन*
मंगलवार को इस आंदोलन को बड़ा समर्थन मिला जब सरकाघाट की प्रमुख संस्था ‘सेवा संकल्प समिति’ के अध्यक्ष चंद्रमणि वर्मा और विजय कुमार ने पहुंचकर रमेश भारद्वाज की जन-सेवा भावना की लिखित रूप में सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रशासन को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

*प्रधानमंत्री तक पहुंची मांग*
आंदोलनकारियों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी आग्रह किया कि वे सरकाघाट में एनएच निर्माण का हाल देखने के साथ-साथ यह भी सीखकर जाएं कि एक सही और जिम्मेदारी भरा करारनामा कैसे बनाया जाता है।

इस अवसर पर व्यापार मंडल चोलथरा के प्रधान बिहारी लाल ठाकुर, एससी, एसटी, ओबीसी एवं अल्पसंख्यक संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रदेश सचिव एनसी भारद्वाज, रणजीत सिंह, प्रताप ठाकुर, राम लाल शर्मा, दलीप ठाकुर और हरिदास प्रजापति सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे और आंदोलन को अपना समर्थन दिया।

ऐसी स्थिति में, सरकाघाट का यह आंदोलन अब सिर्फ एक हड़ताल नहीं, बल्कि जनता की सुरक्षा और पारदर्शिता की मांग करता एक जनआंदोलन बनता जा रहा है। सवाल यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर कब अपनी आँखें खोलेगा।