पवन धीमान, हमीरपुर
क्षेत्र की जनता की पीड़ा को अपनी पीड़ा बनाते हुए धर्मपुर के विधायक चंद्रशेखर का सड़क निर्माण एवं मुआवजे की मांग को लेकर शुरू किया गया अनशन तीसरे दिन भी जारी रहा। विधायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जनता के हक की यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक ठोस सुधारात्मक कदम नहीं उठाए जाते।
*अविचल संकल्प के साथ जारी है धरना*
अवाहदेवी टीहरा चौक पर जारी इस अनशन में विधायक चंद्रशेखर का मनोबल तीसरे दिन भी अटूट दिखाई दिया। उनके चेहरे पर जनसंघर्ष के प्रति अदम्य उत्साह और मुस्कान कायम थी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह आंदोलन मेरा नहीं, बल्कि इस पूरे क्षेत्र की जनता की आवाज है। हम उन तक अपना संदेश पहुंचा रहे हैं जिनकी जिम्मेदारी इस व्यवस्था को सुधारने की है। सुधार के बिना यह आंदोलन खत्म नहीं होगा।”
*जनता की आवाज बने विधायक*
विधायक के इस संघर्ष के पीछे निर्माण कंपनी के द्वारा किए गए अत्याचार और प्रशासनिक उदासीनता की कहानी है। धरना स्थल पर मौजूद स्थानीय निवासियों ने बताया कि निर्माण कार्यों के दौरान हुई लापरवाही के कारण उनके घरों को भारी नुकसान पहुंचा है। एक निवासी रमेश, जो कि फौज में सेवारत हैं, ने बताया, “मैंने अपनी सारी जमा-पूंजी लगाकर अपना घर बनाया था, जो आज टूट चुका है। हमने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी तक भी अपनी गुहार पहुंचाई, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। अब पानी सर से ऊपर हो चुका है।”
एक अन्य निवासी ने बताया, “निर्माण कंपनी इतनी बेशर्म हो चुकी है कि किसी की नहीं सुन रही। किसी के दो कमरे के मकान में दरारें आ चुकी हैं, तो किसी के 16 कमरे का मकान पूरी तरह से फट चुका है।”
*सेहत बिगड़ने पर प्रशासन सक्रिय*
तीन दिन से लगातार अनशन पर बैठे विधायक चंद्रशेखर की सेहत में शाम ढलते-ढलते गिरावट देखी गई। इसके चलते प्रशासनिक अमला सक्रिय हो उठा और मौके पर ही चिकित्सकों की एक टीम को तैनात किया गया, ताकि उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके।
हालांकि, स्वास्थ्य में गिरावट के बावजूद विधायक का संकल्प डगमगाया नहीं। उन्होंने दोहराया, “जब तक इस क्षेत्र की जनता को न्याय नहीं मिलता, जब तक सड़क निर्माण और मरम्मत का काम पारदर्शी तरीके से नहीं होता और पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा नहीं मिलता, मैं इस धरना स्थल से नहीं हटूंगा। यह गांधीगिरी का रास्ता है और हम इसे अंत तक अपनाएंगे।”
जनता और विधायक के इस संघर्ष पर सभी की नजरें टिकी हैं, यह देखने के लिए कि आखिरकार जनहित की यह लड़ाई कब तक और कैसे लड़ी जाती है।
