उपायुक्त अपूर्व देवगन की अध्यक्षता में आज उपायुक्त कार्यालय सभागार में जिला स्तरीय समितियों की बैठकें आयोजित हुईं। इन बैठकों में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और अधिनियमों के कार्यान्वयन की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन का दायित्व है कि योजनाओं को पारदर्शिता और गंभीरता से धरातल तक पहुँचाया जाए, ताकि समाज के जरूरतमंद वर्गों को वास्तविक लाभ मिल सके।
दिव्यांगता समिति की बैठक में हिमाचल प्रदेश राज्य दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2019 और सुगम्य भारत अभियान की प्रगति पर चर्चा हुई। उपायुक्त ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए सभी सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों को अनुकूल बनाना प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि उपायुक्त कार्यालय में लिफ्ट निर्माण हेतु आवश्यक धनराशि की पहली किस्त जिला प्रशासन को मिल चुकी है। मंडी बस स्टैंड में दिव्यांगजनों तथा महिलाओं के लिए पृथक प्रतीक्षालय बनाने पर भी सहमति बनी। इस तिमाही में दिव्यांगजनों के विरुद्ध हिंसा या शोषण का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के अंतर्गत जिला में 94 बहुविकलांग बच्चों के लिए कानूनी संरक्षक नियुक्त किए गए हैं। उपायुक्त ने समिति को निर्देश दिए कि जिन पात्र बच्चों के संरक्षक अब तक नहीं बने हैं, उनके लिए शीघ्र कार्रवाई अमल में लाई जाए।
प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के कल्याण से संबंधित बैठक में आईसीडीएस सेवाओं की उपलब्धता और लाभ पर विचार हुआ। उपायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजनाओं से जुड़ी जानकारी आम लोगों तक पहुँचाने के लिए शिविर आयोजित किए जाएं।
मैनुअल स्कैवेंजर एक्ट 2013 के अंतर्गत गठित जिला स्तरीय सतर्कता समिति की बैठक में सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधाओं पर विचार-विमर्श हुआ। उपायुक्त ने विभागों को निर्देश दिए कि प्रत्येक सफाई कर्मचारी को सुरक्षा उपकरण समय पर उपलब्ध कराए जाएं और जागरूकता शिविर नियमित रूप से हों। इसके अतिरिक्त ‘नमस्ते योजना’ के तहत सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने, हितधारकों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने और सुरक्षित स्वच्छता सेवाओं को प्रोत्साहित करने पर भी चर्चा हुई।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की बैठक में लंबित मामलों की स्थिति पर समीक्षा हुई। मंडी जिले के विभिन्न न्यायालयों में कुल 130 मामले लंबित हैं। हाल ही में समीक्षा किए गए 9 मामलों में से 7 में अभियुक्तों को बरी किया गया, जबकि 2 मामलों में दोष सिद्ध होने पर सजा सुनाई गई। उपायुक्त ने कहा कि ऐसे मामलों की नियमित समीक्षा जरूरी है ताकि पीड़ित पक्ष को समयबद्ध और प्रभावी न्याय मिल सके।
बैठकों में जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा, नगर निगम महापौर वीरेन्द्र भट्ट शर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त गुरसीमर सिंह, जिला कल्याण अधिकारी समीर, पुलिस उपाधीक्षक दिनेश कुमार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और समितियों के सदस्य मौजूद रहे।
